श्री हनुमान चालीसा Hanuman Chalisha:
श्री हनुमान चालीसा के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी है जिन्होंने अवधि भाषा मे "श्रीरामचरितमानस" की रचना की थी, गोस्वामी जी ने श्रीराम के परम भक्त और अतुलित बल एवं बुद्धि के स्वामी श्रीहनुमान जी के वर्णन में हनुमान चालीसा की रचना की थी। गोस्वामी जी कहते है "हरि अनंत हरि कथा अनंता" अतः चालीसा का सम्पूर्ण वर्णन तो असंभव है इसलिए अपने ज्ञान अनुआर अर्थ है:
॥चौपाई 13॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।। 13 ।।
अर्थ
जिसने जगत में आकर कृतकृत्यता का अनुभव किया, जिसने जगत की कीमत बढायी, वह श्रेष्ठ भक्त है । कृष्ण और राम, इन दोनों अवतारों ने इस सृष्टि में आकर इसकी महत्ता बढायी। उसी प्रकार श्री हनुमानजी ने भक्ति की महत्ता बढाई, इसीलिए ऐसे भगवान के परम भक्त के यश की सारा संसार प्रशंसा करता है । इतना ही नहीं स्वयं परमात्मा उन्हे अपने ह्रदय से लगाते हैं यह भक्ति का अंतिम फल है ।
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