श्री हनुमान चालीसा Hanuman Chalisha:
श्री हनुमान चालीसा के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी है जिन्होंने अवधि भाषा मे "श्रीरामचरितमानस" की रचना की थी, गोस्वामी जी ने श्रीराम के परम भक्त और अतुलित बल एवं बुद्धि के स्वामी श्रीहनुमान जी के वर्णन में हनुमान चालीसा की रचना की थी। गोस्वामी जी कहते है "हरि अनंत हरि कथा अनंता" अतः चालीसा का सम्पूर्ण वर्णन तो असंभव है इसलिए अपने ज्ञान अनुआर अर्थ है:
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।12।।
अर्थ
तुलसीदासजी लिखते हैं कि हनुमानजी की प्रशंसा करते हुए भगवान कहते हैं कि ‘तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो’ यानी तुम मेरे हो यह भगवान अपने मुख से भक्त के लिये कहना यह भक्ति का अन्तिम फल है ।
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