मंदोदरी का परिचय Introduction of Mandodri:
रावण कि पत्नी के रूप में मंदोदरी का परिचय दिया जाता है, तथा वर्णन भी रामायण तथा अन्य ग्रंथो में सीमित है। परंतु जानना चाहिये कि मंदोदरी पांच कन्याओं में से है जिन्हें चिर कुमारी होने का वरदान था। मंदोदरी मयासुर(मयदानव) की पुत्री थी तथा रावण के महावीर पुत्रों जैसे मेघनाथ और अचयकुमार आदि की माता थी। उनकी माता का नाम हेमा था। अद्दभुद रामायण के अनुसार उनका विवाह रावण कि मृत्यु के पश्चात विभीषण के साथ हुआ था। कुछ कथायों के अनुसार मंदोदरी पूर्व जन्म में एक अप्सरा थी जिन्हें माता पार्वती ने श्राप दिया था।
मंदोदरी के जन्म तथा विवाह की कथा Birth and marriage Story of Mandodari:
मंदोदरी के जीवन को रामायण सहित पुराणों में सीमित है क्योंकि वहां पर श्रीराम नायक है और कहानी माता सीता और रावण तक रहती है। परंतु मंदोदरी एक दिव्य कन्या थी और उनका योगदान भी बहुत महत्वपूर्ण था।
उनके जन्म के विषय मे दो कथाये कही गयी है:
पहली कथा: मंदोदरी कि माता जिनका नाम हेमा था वो एक अप्सरा थी और स्वर्ग लोक में इंद्र की अप्सराओं में से थी। उनका रूप सौंदर्य बहुत सुंदर था। हेमा कि सुंदरता को देखकर मयासुर या मयदानव मोहित हो गया और विवाह का प्रस्ताव रखा। हेमा ने उनका प्रस्ताव माना और विवाह के उपरांत उनकी परम तेजस्वी पुत्री का जन्म हुआ जिसका नाम मंदोदरी था। मंदोदरी को चिर कुमारी होने का वरदान भगवान शिवजी से मिला था।
दूसरी कथा: इस कथा के अनुसार मंदोदरी पूर्व जन्म में एक अप्सरा थी जो एक दिन कैलास पर्वत में गयी तब भगवान शिव योग मुद्रा में थे। जहां पर वो भगवान भोलेनाथ को देखकर मोहित हो गयी और उन्हें रिझाने की कोशिश करने लगी परंतु भगवान शिव ध्यानमग्न ही रहे। उसी समय वहां माता पार्वती आ गयी और उन अप्सरा के शरीर मे भगवान की भस्म देखकर नाराज हो गयी और और मेढकी होने का श्राप दे दिया। बहुत छमा मांगने पर तथा शिवजी के आग्रह पर उन्होंने उसे 12वर्ष के लिए मेढकी रहने का समयबद्व कर दिया और पृथ्वी पर एक कुएं में रहने को कहा।
जब मयासुर और हेमा को कोई पुत्री नही थी तो उन्होंने भगवान शिव से पुत्री मांगी, तभी मेढकी का 12 वर्ष भी पूरे हो रहे थे तो शिव जी ने उसे पुत्री के तौर पर मयासुर को दे दिया।
मंदोदरी के विवाह:
विवाह के बारे में कहा जाता है कि जब रावण मयासुर के घर गया और वहां पर मंदोदरी को देख कर वो आकर्षित हो गया, और विवाह का प्रस्ताव रखा।
मयदानव ने मंदोदरी के जन्म के बारे मे रावण को बताया, और कहा कि वो एक दिव्य कन्या है और उन्हें नीति, न्याय, धर्म का पूर्ण ज्ञान है अतः तुम्हे मंदोदरी को ही अपनी मुख्य पटरानी बनाना होगा। रावण ने उनकी इस शर्त को मंजूर किया और मंदोदरी से विवाह किया।
विभीषण की भी पत्नी हुई थी मंदोदरी:
अद्दभुद रामायण के अनुसार कहा जाता है कि मंदोदरी का दूसरा विवाह रावण की मृत्यु के पश्चात विभीषण के साथ हुआ था। उन्हें यह विवाह करने के लिए भगवान राम ने ही कहा था। भगवान श्रीराम ने उन्हें इसीलिए कहा था क्योंकि उनके पास राजनीति, और धर्मनीति का गुण था और वो दिव्य कन्या थी, अतः लंका के पुनः सृजन और सुचारू रूप से चलाने के लिए यह सुझाव दिया था।
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