कौन था अंधक या अंधकासुर:
भगवान शिव और पार्वती का पुत्र था अंधक जिसे भगवान शिव ने हिरण्याक्ष की तपश्या से प्रसन्न होकर उसे प्रदान किया था। बाद में वही अंधक बडा होकर अंधकासुर बना जो ब्रह्मा जी का भक्त था और दिग्विजयी हुआ, और उसका अंत भी भगवान शिव के हांथो हुआ।शिव पार्वती के पुत्र अंधक की कथा:
एक बार माता पार्वती और भगवान शिव काशी नगरी में भ्रमण कर रहे थे तभी भगवान शिव एक स्थान पर विराजमान हो गए और कुछ ध्यान में थे, तभी माता ने अपने हांथो से भगवान की आंखों को बंद कर दिया जिसके कारण संसार मे अंधेरा छा गया। जिसके लिए शिव जी ने अपने तीसरे नेत्र को खोल दिया और संसार प्रकाशवान हो गया।परंतु उसकी गर्मी से माता को पसीना आ गया और नीचे गिरने से एक पुत्र का जन्म हुआ जो बहुत भयंकर दिखाई पड़ रहा था। माता के पूछने पर भगवान ने बताया कि ये आपका ही पुत्र है।
जब हिरण्याक्ष ने भगवान से पुत्र का वरदान मांगा तो भगवान ने उस बालक को हिरण्याक्ष को दे दिया , वह बालक असुरो के पास बडा हुआ और अंधकासुर बना। उसने ब्रह्मा जी की तपस्या की और वरदान मांगा की जब मैं अपनी माता से विवाह का प्रस्ताव रखु तभी मेरी मृत्यु हो। उसको लगता था कि उसकी कोई माता नही है।
उसके बाद उसने तीनो लोको में विजय प्राप्त की और फिर विवाह के बारे में सोचा, तब सभी ने हिमालय की पुत्री पार्वती जी के बारे में बताया कि वह बहुत सुंदर है और कैलाश में शिव जी की पत्नी है।
तब वो माता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया जंहा पर भगवान शिव के द्वारा उसका विनाश हुआ।
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