मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा:
शिव पुराण के अनुसार एक बार शिव जी और पार्वती जी के दोनों पुत्रों श्री कार्तिकेय जी और गणेश जी मे विवाद हो गया ही पहले विवाह किसका होगा जिसके निवारण के लिए वो अपने माता पिता के पास गए। शिव जी ने सोच विचार करके कहा कि जो इस पृथ्वी के साथ चक्कर लगा कर पहले आएगा उसका विवाह पहले होगा।कार्तिकेय जी खुश हो गए क्योंकि उनका वाहन मयूर है और वो तुरंत माता पिता के आशीर्वाद ले पृथ्वी के चक्कर लगाने चले गए।
परंतु गणेश जी सोचा मेरा वाहन मूसक है और वो इतना जल्दी चक्कर नही लगा पायेगा तो उन्होंने एक उक्ति निकली।
उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती को एक आसन पर बिठाया और उनके ही सात चक्कर लगा लिए, शिव जी के पूछने पर उन्होंने बोला:
मेरा तो सारा संसार मेरे माता पिता है क्योंकि वो ही संसार के पालन करता है तो मुझे संसार के चक्कर लगाने की क्या अव्यसक्ता है।
भगवान शिव प्रसन्न हुए और गणेश जी का विवाह “रिद्धि शिद्धि” के साथ हो गया जिनसे “सुभ लाभ नामक पुत्र हुए।
उधर जब कार्तिकेय जी वापस आये और उनको सभी बाते पता चली तो वो रूठकर दक्षिण दिशा में ‘क्रोंच’ नामक पर्वत में चले गए।
जब माता पार्वती जी से नही रहा गया तो वो उनको मनाने चली और साथ मे भगवान संकर भी चले जो मल्लिका एवं अर्जुन नामक भील के वेश में गए,
परन्तु जब ये बात कार्तिकेय जी को पता चली तो वो 7 कोस दूर दूसरे पर्वत पर चले गए, और भगवान शिव तथा पार्वती जी वंही क्रोंच पर्वत पर ही स्थापित हो गए जो कि मल्लिका अर्जुन नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है प्रत्येक पूर्णमासी और अमावश्या को शिव जी और पार्वती जी वंहा आते है।
Jai ho bhole nath ki
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