श्री हनुमान चालीसा Hanuman Chalisha:
श्री हनुमान चालीसा के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी है जिन्होंने अवधि भाषा मे "श्रीरामचरितमानस" की रचना की थी, गोस्वामी जी ने श्रीराम के परम भक्त और अतुलित बल एवं बुद्धि के स्वामी श्रीहनुमान जी के वर्णन में हनुमान चालीसा की रचना की थी। गोस्वामी जी कहते है "हरि अनंत हरि कथा अनंता" अतः चालीसा का सम्पूर्ण वर्णन तो असंभव है इसलिए अपने ज्ञान अनुआर अर्थ है:
॥चौपाई 15॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।। 15 ।।
अर्थ
धर्मराज यम भगवान सूर्य के पूत्र हैं, इनकी माता का नाम संज्ञा है। यमी (यमुना) इनकी बहन हैं। भगवान सूर्य का एक नाम विवस्वान भी है, अत: विवस्वान (सुर्य) के पुत्र होने के कारण ये वैवस्वत भी कहलाते हैं। ये धर्मरुप होने के कारण और धर्म का ठीक-ठीक निर्णय करने के कारण धर्म या धर्मराज भी कहलाते हैं। यम देवता जगत् के सभी प्राणीयोंके शुभ और अशुभ सभी कार्यों को जानते हैं, इनसे कुछ भी छिपा नहीं है। ये प्राणियों के भूत-भविष्य, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष में किए गये सभी शुभाशुभ कर्मों के प्रत्यक्ष साक्षी हैं, ये परिपूर्ण ज्ञानी हैं। नियामक होने के कारण इनका नाम यम है। महाराज यम दक्षिण दिशा के स्वामी हैं। दस दिक्पालो में इनकी गणना है। ये शनिग्रह के अधिदेवता हैं। शनि की अनिष्टकारक स्थिति में इनकी आराधना की जाती है। इसीप्रकार दीपावली के दूसरे दिन यम द्वितीया को यम दीप देकर तथा अन्य दूसरे पर्वोंपर इनकी आराधना करके मनुष्य इनकी कृपा प्राप्त करता है। प्रत्येक प्राणियों के शास्ता एवं नियामक साक्षात्् धर्म ही यम हैं। वे ही धर्मराज अथवा यमराज भी कहलाते हैं।
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