कल्कि अवतार Kalki Avtar:
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उत्तर प्रदेश के संभल मंदिर कि प्रतिमा |
भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्नु का यह कल्कि अवतार चंदौली ग्राम में एक ब्राह्मण के पांचवे पुत्र के रूप में होगा तथा वे स्वेत देवदत्त नामक घोड़े पर अरुण होकर अपनी तलवार से दुस्टों का संहार करेंगे।
भागवत पुराण और विष्णु पुराण में कल्कि अवतार का विस्तार में वर्णन किया गया है, और कल्कि पुराण तो इसी अवतार पर केंद्रित है जिसमे जन्म, गुरु , माता पिता, पत्नियों और बच्चों का विस्तार में वर्णन किया गया है।
कल्कि अवतार में मतभेद:
कई विद्ववानों और जानकारों ने भगवान विष्णु पे इस अवतार पर बड़े मतभेद व्यक्त किये है। क्योंकि अभी कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है फिर अभी से उनके मंदिर और पूजा के बारे में यक्तव्य। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलयुग की समय अवधि 4 लाख 32 हजार साल की बताई जाती है और कलयुग को लगभग 5 हजार साल हुए है।
कुछ इतिहासकारो का मानना है कि कल्कि अवतार हो चुका है, क्योंकि उनके स्वरूप की जिस तरह व्याख्या की गई है वह अतीत में ही संभव था। कुछ का कहना है कि पुराणों के अनुसार महाऋषि व्यास भगवान विष्णु के अवतार थे और गौतम बुद्ध का उन पुराणों में विवरण नही है , तो हो सकता है ऋषि व्यास नवमें और गौतम बुद्ध दसवे अवतार हो।
ऐसे तो आजकल उनपर बहुत से भक्ति गीत, मंत्र पुस्तक आदि बन और छप रही है। उनके नाम पर कई संगठन भी बन रहे है जो प्रचार प्रसार कर रहे है।
कुछ इतिहासकारो का मानना है कि कल्कि अवतार हो चुका है, क्योंकि उनके स्वरूप की जिस तरह व्याख्या की गई है वह अतीत में ही संभव था। कुछ का कहना है कि पुराणों के अनुसार महाऋषि व्यास भगवान विष्णु के अवतार थे और गौतम बुद्ध का उन पुराणों में विवरण नही है , तो हो सकता है ऋषि व्यास नवमें और गौतम बुद्ध दसवे अवतार हो।
भगवान कल्कि में मंदिर
सर्व प्रथम जयपुर में सवाई जयसिंह ने 1739 में पुराणों की व्याख्या के अनुसार बनवाया था। इसके अलावा भारत के कई स्थानों में कल्कि स्वरूप के मंदिर है। उत्त्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार का बहुत बड़ा और प्रसिध्द मंदिर है।ऐसे तो आजकल उनपर बहुत से भक्ति गीत, मंत्र पुस्तक आदि बन और छप रही है। उनके नाम पर कई संगठन भी बन रहे है जो प्रचार प्रसार कर रहे है।
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