काशी विष्वनाथ:
उत्तरप्रदेश में पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित काशी विष्वनाथ मंदिर एवम स्थान का बहुत बड़ा महत्व है भारत के इतिहास में भी। ये मंदिर भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक तो है ही परंतु भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान भी है। ये स्थान कई ऋषियों मुनियो की तपो भूमि और कर्म भूमि रही है। आयुर्वेद से भी इस स्थान का बहुत गहरा नाता है। इस कारण भारतीय इतिहास में ये बहुत खाश है।
मान्यता के अनुसार इस स्थान को श्वम भगवान शिव ने बसाया था, और प्रलय की स्थित में भी ये स्थान में कुछ नही होता क्योंकि इसे भगवान शिव अपने त्रिशूल में धारण कर लेते है।
कहा जाता है जो इंसान यंहा गंगा नदी में स्नान कर ले और विष्वनाथ जी के दर्शन कर ले उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, और इस स्थान में मृत्यु की प्राप्ति होने पर मोक्ष के साथ साथ भगवान शिव का सानिध्य प्राप्त हो जाता है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा:
शिवपुराण के अनुसार भगवान विष्णु और व्रह्मा में श्रेष्ठ होने की बहस छिड़ गई थी तब शिव जी मे अग्नि स्तम्ब का रूप लिया और दोनों में छोर खोजने को कहा।
तब ब्रह्मा जी मयूर पर बैठ कर ऊपर तथा विष्णु जी बाराह का रूप लेकर नीचे की तरफ गए।
परंतु किसी को छोर प्राप्त नही हुआ, परंतु व्रह्मा जी गलती कर दी अपने को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए बोल दिया कि मैंने छोर खोज लिया।
तब वो अग्निस्तम्भ शिवलिंग रूप को प्राप्त हुआ और स्वम् शिव जी प्रगट हुए और ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि आपको कभी पूजा नही जाएगा।
वही शिवलिंग विष्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
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