उज्जैन के मुख्य दार्शनिक मंदिर
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल जो मध्यप्रदेश के उज्जैन (उज्जयिनी) में स्थित है, और महाकाल को यंहा का राजा कहा जाता है। उज्जैन में महाकाल मंदिर के अलावा कई दार्शनिक मंदिर है यह कई महापुरुषों की तपो भूमि रही है। उज्जैन में अनेक मंदिर स्थित है जिनके कई लोक कथाये भी है, हम बात करते है उज्जैन में स्थित मुख्य दार्शनिक मंदिर:१) महाकालेश्वर मंदिर Mahakaleshwar Mahadev Mandir:
महाकाल की पौराणिक कथा वर्णन पिछले ब्लॉग में किया था जिसका लिंक यह है:https://www.kahi-suni.com/2018/12/blog-post_27.html
मौजूद मंदिर का निर्माण राणोजी सिंधिया ने 1734 में करवाया था जिसके बाद मैनेजमेंट और सिंधिया राज घराने के देख रेख में हुआ। अब महाकालेश्वर ट्रस्ट इसे सुचारू रूप से चलता है। परिसर का रखरखाव , सफाई पर बहुत ध्यान दिया जाता है। इससे इसकी भभ्यता बहुत अच्छी है।
२) काल भैरव मंदिर:
काल भैरव को भगवान शिव का सेनापति कहा गया है, अगर आप महाकाल दर्शन करते है परन्तु भैरव मंदिर नही जाते तो दर्शन अधूरा माना जाता है।
काल भैरव का वाहन या दूत कुत्ता (ब्लैक डॉग) है। यंहा पर प्रसाद के तौर पर शराब(वाइन या व्हीस्की) दिया जाता है।
३) मंगलनाथ मंदिर:
पुराणों के अनुसार भगवान शिव के पसीने की बूंद यंहा पर गिरा था वंही शिवलिंग रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर के दो प्रमुख तथ्य है(१) जितने शिव मंदिर है वंहा शिवजी के वाहन नन्दी की प्रतिमा होती है, परंतु यह एक ऐसा मंदिर है जंहा पर शिवजी के वाहन के रूप में गधा(Donkey) है।
(२) जो लोग कुंडली के अनुसार मांगलिक होते है उनके निवारण के लिए केवल यही स्थान है जंहा विशेष पूजा करवाई जाती है। लोगो द्वारा बताया जाता है कि बच्चन परिवार यंहा पर एस्वरिया राय के मंगल दोष निवारण के लिए यहाँ पर पूजा करवाई थी।
४) सांदीपनि आश्रम:
कंश के वध के बाद श्रीकृष्ण यंहा पर विद्या अध्यन के लिए आये थे और 64 दिन में 64 विद्याएं और 16 कलाये सीखी थी। तथा यही पर श्रीकृष्ण की सुदामा के साथ मित्रता हुई थी।
५) राम घाट:
शिप्रा नदी के तट पर बना राम घाट बहुत सुंदर एवं प्रसिद्ध है , यही पर कुम्भ का स्नान होता है।
प्रत्येक शाम यंहा पर संध्या आरती होती है।
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